प्राचीन
ग्रीक नाटककार यूरीपिडिस ने एकबार लिखा था, बेटों के पास ऊंचाई पर पहुंचने का जोश है, लेकिन वे प्यार नहीं दे सकते। पिता के लिए बेटी से प्यारा कुछ भी नहीं।
अभिनेत्री
एंजेलिना ने अपने पिता को माफ करके फादर्स डे का एक नायाब तोहफा दिया है। अभिनेत्री एंजेलिना जोली और उनके पिता के बीच सात सालों तक मनमुटाव रहा था; एंजेलिना
के इस फैसले से एक बात को साफ हो जाती है कि बेटियां आखिरीकार, पिता की होती हैं। चाहे पश्चिम हो या पूरब या उत्तर या दक्षिण कहीं भी जाएं खून के रिश्ते यूं ही नहीं टूटते। हम सोचते हैं कि पश्चिम में रिश्तों की अहमियत को नहीं समझा जाता, परंतु जोली के उदाहरण से जाहिर होता है कि दुनिया में रिश्तों के मायने कुछ हद तक अभी भी कायम है और पिता-बेटी का रिश्ता तो संवेदनाओं
से सराबोर होता है, इसीलिए तो बेटियां हमेशा अपने पिता की लाड़ली होती हैं! खैर, यह सच भी है, मानवीय संबंधों में पिता और बेटी का रिश्ता प्यार, देखभाल, आदर और मित्रता का होता है। इस दुनिया में पिता और बेटी के रिश्ते की तुलना किसी भी रिश्ते से नहीं की जा सकती। बच्चे की ज़िंदगी में पिता की मौजूदगी बहुत महत्वपूर्ण होती है, लेकिन एक बेटी के जीवन में पिता की भूमिका भी बहुत मायने रखती है।
एक लड़की के जीवन का अभिन्न रूप है पिता, जो उसके लिए सुरक्षा की अनुभूति देता है।
उसके जीवन में रोल मोडल बनकर आने वाला पिता ही पहला पुरुष होता है। दुनिया के सारे पुरुष उसके पिता की तरह ही होंगे वह ऐसा महसूस करती है। बचपन से किशोरावस्था और युवावस्था तक वह उसके जीवन में प्रभावशाली भूमिका अदा करता है। अमेरीका के भूतपूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की बेटी चेल्सी अपने पिता के बारे में बताती हैं कि बिल उससे बहुत प्यार करते हैं। जब वे अरकंसास के गर्वनर चुने गए तब उन्होंने अपने ऑफिस में मेरे के लिए छोटा सा डेस्क रखवाया था, क्योंकि मैं बचपन से ही पढ़ाई में बहुत तेज थी और नाटकों और बैलेट में भी मेरी रुचि थी। दूसरी लड़कियों की तरह मैं भी अपने पिता से बहुत प्यार करती थी। मेरे किशोरावस्था में कदम रखते ही उन्हें मेरी बहुस चिंता होने लगी और इसकी
वजह थी दोस्तों के साथ देर रात मेरा घूमना. वे तब तक मेरा इंतजार करते थे जब तक की मैं घर न आ जाऊं। मोनिका लेवेंस्की विवाद के वक्त मैं स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में थी, उस तनाव भरे माहौल में मैं अपने पिता के साथ खड़े
होकर उनका साथ दिया और अपने परिवार को संतुलित बनाने में अहम भूमिका निभाई । इस मिसाल से यह बात सामने आती है कि जिस तरह पिता बड़े प्यार से अपने बच्चों का ख्याल रखते हैं, ठीक उसी तरह बच्चे भी पिता का ध्यान रखते हैं और इनमें बेटियों की भूमिका का शुमार महत्वपूर्ण होता है। दुनिया के तकरीबन सभी मनोवैज्ञानिकों और मनोवैज्ञानिक लिंडा नेल्सन कहती हैं
मेरे 30
साल के अनुभवों के मुताबिक अधिकतर पिता किशोरावस्था पुत्रियों को ज्यादा समझ नहीं पाते और न ही उनके साथ उतना समय बिताते हैं या फिर एक-दूसरे से सहज रूप से बात नहीं कर सकते है कि जितना मां के साथ करते है, क्योंकि मां का प्रभाव बेटी के स्कूल की उपलब्धि, भविष्य की नौकरी या आय, पुरुष के साथ रिश्ते, आत्म विश्वास और मानसिक तौर पर जितना होता है उतना पिता का नहीं होता है। इसकी वजह यह हो सकती है कि कई बार बेटी के मन में
पिता के बारे में नकारात्मक मान्यताएं घर कर लेती है। इसके लिए पिता और बेटी को अपने बीच की दूरियों को कम करना होगा। पिता को चाहिए कि वह बेटी को समझें और उसे सुनें। उसकी निजी बातों को सुनकर सही सलाह दें ताकि इस रिश्ते में प्यार और विश्वास की खाद मिलकर मजबूती आए। कई बार ऐसा भी होता है कि अधिकतर पिता बेटियों के साथ सहज नहीं हो पाते, इसलिए उन्हें पौधों की छंटाई, स्पेशल खाना बनाना, या फिर ताश खेलना ऐसी गतिविधियों में हिस्सा लेना चाहिए, जिससे कि दोनों में सहजता आ सके। उन्हें बेटी के जन्मदिन में
उपहार देने चाहिए और साथ ही एक छोटी सी पार्टी देकर उसे महसूस करवाएं कि वह आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। यूं इस तरह उसके जन्मदिन को एक यादगार बनाएं। उसे स्कूटर चलाना या नई-नई किताबें पढऩा, जो उसे दुनिया की जानकारी दे सके या कार की मरम्मत, गोल्फ खेलना, घर की सजावट या देखभाल जैसी नई-नई चीजें सीखा सकते हैं और किसी भी परिस्थिति का आसानी से मुकाबला करने में सक्षम है, उसके अंदर आत्मविश्वास
जगाएं। उसे अपने बचपन, किशोरावस्था और जवानी की फोटो दिखाएं और उस फोटो के पीछे की कहानी भी सुनाएं। इस रिश्ते की मजबूती के
लिए उन्हें अपने अनुभवों को एक-दूसरे से बांटना चाहिए। जब लड़की किशोरावस्था में आती है तो उसमें शारीरिक और मानसिक रूप से कई बदलाव आते हैं, जिसे समझने के लिए सिर्फ मां ही नहीं, बल्कि पिता को भी तैयार रहना पड़ता है।
डॉ. मीकर का कहना है, बेटी के जीवन को अच्छा या बुरा बनाने की विशाल शक्ति पिता के पास ही होती है, जो उसकी पहचान के लिए जरूरी है। वह सबसे महत्वपूर्ण मार्गदर्शक, रक्षक, संरक्षक, मित्र, जो बड़े प्यार और सुरक्षात्मक माहौल में उसका पालन-पोषण करता है। जीवन के विभिन्न स्तर पर वह
अपने पिता की बहुरूपदर्शी भूमिकाएं देखती हैं। उदाहरण के तौर पर जैसे नंदिता दास अपने पिता जतीन दास के बारे में बताती हैं कि जब मेरी मां ऑफिस जाती थीं और मेरे पिताजी घर की और मेरी देखभाल करने के लिए घर पर रहते थे। तब मैं ऐसा सोचती थी कि क्या
ऐसा नहीं हो सकता था कि हरेक पिता घर का काम करता और मनोरंजन के लिए पेंटिंग कर लेता, जबकि हरेक मां ऑफिस जाती। आज जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं तो मुझे बहुत खुशी होती है कि बहुत छोटी सी उम्र में मेरे दिमाग में इस रूढिवादीता को तोडऩे वाले विचार आ चुके थे। वास्तव में मेरे पिताजी की रचनात्मकता रसोई में व्याप्त हो गई थी। इसका मतलब है कि मेरे नाश्ते में अंकुरित अनाज, भूरी ब्रेड, सेव के टूकड़े या फिर सब्जियां होती थी, जिसे पहले किसी ने भी नहीं पकाया था। दोस्तों को भी मेरा नाश्ता बहुत पसंद आता और वे लोग खुश होकर मेरा नाश्ता खाते थे। जब मैं उनकी रोटी-सब्जी-अचार को खाती थी, जो कि मेरे लिए सही मायनों में घर का खाना होता था। नंदिता अपने पिताजी के बारे में बताती हैं कि वे हमेशा जीवन की क्षणिक खुशियों को देखते थे। उन्होंने कभी भी अपने जीवन में रुपयों को अहमियत नहीं दी। उनके दर्शन ने मुझे दृढ़ साहस और पसंद की आजादी दी थी। उन्होंने ईमानदारी, समानता और संवेदशील जैसे मूल्यों की शिक्षा दी । मैं अपने पिता की बहुत आभारी हूं, क्योंकि उन्होंने हमारे अंदर मूल्यों का सिंचन किया है। जब मैंने उन्हें फिल्म से जुडऩे की बात कही तो उन्होंने सामान्य पिता की तरह मुझे कहा : फिल्में ड्रेगन की तरह हैं, वे तुम्हें चूस लेंगी और रुपयों व
प्रसिद्धि के लिए तुम्हें बहकाएंगी। काम का मतलब कुछ ऐसा करना, जो तुम्हें आनंद और ज़िंदगी के मायनों को समझने व सबसे बढ़कर आपको एक अच्छा इन्सान बनने में मदद करता है। इन उदाहरणों से जाहिर होता है कि पिता बेटी के जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कुछ ऐसे किस्से भी हैं, जिनमें पिता के लिए बेटी महत्वपूर्ण होती हैं। ऐसे ही एक पिता हैं मशहूर सितार वादक पंडित रविशंकर महाराज, जिनके लिए उनकी बेटियां अनुष्का और नौरा उनका अभिमान है। वे अनुष्का के लिए बताते हैं, वह बहुत ही प्रखर
दिमाग और बहुल प्रतिभावान है। मैं ऐसा इसलिए नहीं बोल रहा कि मेरी बेटी है, लेकिन उसकी गहन क्षमता की वजह से बोल रहा हूं। जैसे कि उसका लेखन, पश्चिमी या शास्त्रीय संगीत या अभिनय या हास्यास्पद चाहे कुछ भी हो वह सबकुछ असाधारण रूप से करती है। जब वह 9
साल की तब से ही उसकी यह प्रतिभा विकसित हो गई थी, जो आज मेरे लिए आनंद की अनुभूति है। नौरा बहुत भाग्यशाली है और उसके सितारे भी बहुत ताकतवर है। मुझे बहुत खुशी होती है, जब उसे अपने लक्ष्य पर केन्द्रित देखता हूं। वह बहुत अच्छी है और मैं इसे इसी रास्ते पर चलते हुए देखना चाहता हूं। इसमें कोई संदेह नहीं कि पिता का प्रभाव बेटी की ज़िंदगी में शक्ति भर देता है। सिर्फ वही है,
जो उसके निजी मूल्यों
को बदल सकता है और भविष्य में मिलने वाले दूसरे पुरुष के प्रति उसके मानकों का ढांचा बनाता है - जैसे कि पुरुष मित्र, पेशेवरों, सहकर्मी, दोस्त और पति और वह पुरुष जिसके साथ खुद को सुरक्षित, सलाह और प्यार करती है।
सचमुच पिता और बेटी के बीच संवेदनाएं होती जो इस रिश्ते को बांधे रखती है। हालांकि इस रिश्ते को समझाना बहुत मुश्किल है। यह एक खास प्रकार की सुरक्षा है, जब आप अपनी बच्ची को पहली बार हाथ में उठाते हैं। आप संतुलन बनाते हुए एक सुरक्षा के साथ उन्हें विकसित होकर अपने पंखों से उडऩे में मदद करते हैं, लेकिन यह मायने नहीं रखता कि वे इसे कब पूरा करते हैं। आखिरकार, वे होती तो हैं पिता की लाडलियां!