Wednesday, March 23, 2011

लमहा


पल वो लमहा जब तुमने लिया था
मेरा हाथ अपने हाथ में
और कहा था रहूंगा साथ ताउम्र
ग़म न कर अश्कों से भरी ज़िंदगी का
देखा है तेरे चेहरे पर अक्स खुशियों का

नफरत, स्वार्थ से भरी दुनिया
जीने न देगी तनहा मुझको
कैसे जी पाऊंगा छोड़ के तुझको

कोसों दूर कर दूंगा
ग़म के बादल दामन से तेरे
सात रंगों से भर देगा
सागर जीवन को तेरे
अब वही एक लम्हा पूरी जिंदगी है मेरे लिए
और फैला हुआ है पूरी कायनात तक
मेरी नजर के विस्तार में !